Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps January 13, 2014 यु ही पीछॆ पीछॆ तेरे चलते आये पार करते अन गिनत गलियाँ कितने ही चौबारे बड़ी दूर आकर जो नजरें घुमाइ तो सब्कुछ था अंजाना बिन एक तेरे, निशान कदमो के अब क्या सोचूँ, और करूँ भी तो क्या चलने लगी फिर से तेरे पिछे मैं नज़रे झुकाये Read more