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Showing posts from May, 2019

क्यों जी

क्यों जी कुछ बोलते क्यों नहीं क्या? वही पता ही तो है बारिश की बूंदो में लिपटा मन और क्या ? तुम्हारी उंगलियों से उलझे धागे सुलझाना चाहता है बस. बोलो न उन लम्बी सड़को पर अंधेरो के बाद मेरे साथ आओगे? और जब सड़के ख़तम हो जाएँगी तब? पटरियों पर लड़खड़ाते मेरे कदमो को क्या दीवाना कहोगे? या मेरी ही दीवानगी में संग चल पड़ोगे न, करोगे कभी बात पलटने की बिजलियाँ बारिशे बुँदे पियोगे मेरे होठ से, होठ पे कभी तो लब खुलेंगे? या नहीं क्यों जी?
गाढ़ी गाढ़ी सी रतियाँ लम्बी धीमे आंच पे सिकते मन की चासनी और चीनी तुम हम तो पानी पानी पानी 
The earth wakes up Fragrant and glowing And shy After a night full of Soaking Thundering rain As the world awaits For the flowers To bloom Soon
And then the rain maker whispered to  the rain to just dance and scatter all over the world, and she did.... she danced so much that sky creaked and thundered but she danced and danced ...
डर के आगे जीत है  डर के आगे, बढ़ जा आगे  मूंद के आंखे  बंद कर कान  कौन कहे क्या  कौन करे क्या  झटक के दामन  बढ़ जा आगे  कौन सा जोखम  कौन सा खतरा  अभी नहीं तो , कभी न होगा  डर का दरिया  पार उतर जा  मार के डुबकी, हो जा ओझल  पलक झपकते  सांस घुटेगी पर रखो यकीं के  यही मिलूंगी  डर के आगे  जीत ही जीत है 
एक आंच ही तो है धीमी धीमी सी  एक जलन ही तो  मीठी ठीक सी  घुलते जाते हैं  अरमां ख्वाब और वजूद जिंदगी हो जाती है मीठी चासनी सी 

इस्तेहार

इस्तेहार  अर्जेन्ट है  एक दर्जी चाहिए  किसी को पता हो तो तुरंत बताये  फलाना नंबर पे थोड़ा खास दर्ज़ी चाहिए  जो सील सके, मेरी जुबान  क्युकी अपने लगाए टाँके  मेरे जब तब खुल जाते है कभी दवाब में, कभी अभाव में  एक ही तो है पर अब तार- तार हो चली है जरा सलीके का दर्ज़ी भेजो, कोई  या रफूगर भी चलेगा बढ़िया सा , जो लगा सके पैबंद  एक मीठी जबान का  एक ऐसी शहद भरी  जैसे मैंने सुन रखी है  कहाँ? अरे इनके तानो में बस कोई ढंग से सिल दे ऊपर से  वैसे भी मेरी जुबान  अब किसी काम की नहीं रही  है ऐसा कोई? मिले तो ज़रा बताना  करना कॉल  फलाना नंबर पे