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Showing posts from August, 2009

पहचान मेरी क्या?

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Woman in the mirror Originally uploaded by poisonapple2005 पहचान मेरी क्या? आईने मे उभरता एक चेहेरा कुछ जाना पहचाना सा है कौन? किसे पता परछाई जैसे मेरी, है वही आकार जैसे एक छलावा, ये मैं तो नही कोशिशे मेरी सारी बेकार पहचानने की खुद को बंद आँखो से मैं देखती हूँ स्वयं को कुछ और कठोर सच और परिस्थिति, दिखाती है कुछ और उलझी उलझन, मेरे मन की है अनबन किस चहेरे को अपना समझू और किसे छोड़ू मंझधार

praket

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praket Originally uploaded by prabhaJha चारो दिशाए, उझलति रोशनी पलके मेरी अभी तक उनीदी बढ़ाकर हाथ, छूता मुझे तेरा कोमल शरीर कहती कितनी ही बाते भाषा अपनी तेरी सपनो को छोड पीछे भर के बाहो मे तुझको मैं होती आकेत आज भी और आजीवन्, प्रिय प्राकेत
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Originally uploaded by whiteperfumeonly तुमसे कोई भला कैसे नाराज़ कही हो सकता है पास आकर तुम्हारे, तुमको खोने का एहसास होता है गहेरे पानी की झील से तुम, बिन ल़हेरो के, शांत रहे मैने जाने कितनी कोशिश की, कितने ही पथथर फेंके क्यू सूनापन , क्यू इतनी उदासी फिर मुझको घेरे है मैने खुद ही ये राह चुनी, कहने को रस्ते बहुतेरे थे मैं हाथ जोड़, गिर कदमो पर तेरे - अधिकार नही कुछ माँग सकू तकदीर मेरी बस इतनी है, अंतिम छणतक तेरी ही बाट तकु

Praket - Intelligence

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Praket - Intelligence Originally uploaded by prabhaJha Praket is on YouTube. http://www.youtube.com/user/mithilaart This is from over a months back, when he started rolling over. Time is flying.

I know you

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GA National Fair - Man at cafeteria Originally uploaded by idyllopus I ventured the cafeteria on my own, again. It was 5th time since Alta left. I just prefer to bring from home than going alone. Everything looked as awful, as it mostly does. Since I must get something to relieve my hunger, I picked some rice and asparagus. As I headed to the cashier I realized I was not carrying my wallet for the first time ever. For a moment I thought I would just leave the food there somewhere and head out, which seemed selfish as I would waste the food like that. Confused, I thought of giving it a shot with Val. I walked up with my food, after making sure no one was behind me in the ear shot. I asked her if she could keep my food until I come back with my card. She charged and asked me to bring the money later may be tomorrow. I asked her if she will give me a receipt so she can remember how much it was. She was too late for the receipt and I was unsure how is she ever going to know how much did

Caster Semenya (right)

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Furore South African athlete Caster Semenya (right) has been placed under the international spotlight after reports claiming that she is to face a gender probe. Originally uploaded by Pan-African News Wire File Photos Then Santhi now Semenya I believe by this time, half of the world (if not more) is aware of the story on the yahoo front page. That the world-champion South African runner is subjected to gender test amid concerns that she may not qualify as female. What on earth does it mean? I googled and landed on Santhi’s story. What struck me worst was the fact that she hails from India and that too a very poor family. As far as my experiences go it is highly unlikely that she might have gone through some surgical procedure intended to alter her gender and succeed in the race. In our country, we do not encourage sports as much anyways and that too for somebody who is born a girl. I searched more, but I could not find a solid explanation for why she might have failed the test and no

माँ

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Mother and Daughter Originally uploaded by Serlunar माँ माँ तुम बिन कष्ट नही है बस सूनाप न है हर बात तुम्हारी रह रह कर याद आती है फिर लगता है , ये कहती जो तुम होती पर कही नही , तुम आस पास बेतार इन तारो से करूँगी कितनी बात होता है मन मे ये भी पछतावा सा कभी कभी नही हुआ वो, की रह ही गया ये जब तुम थी यही हर बात तुम्हारी छोटी छोटी, हर काम तुम्हारा बड़ा बड़ा बस तुम ही थी जो चली गयी, और सब कुछ रह गया पड़ा पड़ा तुम्हारे चूड़ी की आवाज़ नही, नही तुम्हारी आहट है माँ तुम बिन कष्ट नही है बस सूनाप न है अपनी जादूभरी उंगलियो से तुमने अनगिनत कलाए की मेरे घर के हर कोने को, कोई ना कोई निशानी दी उन के गोलो और कांटो से, तुमने दे दिया आकार सामने तुम्हारे ही हर दिन, हुए मेरे सपने साकार साथ तुम्हारे , चले गये पापा भी ये कैसे हम भूलेंगे बाते अनगिनन गीत पैरो की आहट, घर के कोने भी ढूंढ़ेंगे हँसने और मुस्कुराने के, अब बचे नही बहाने है माँ तुम बिन कष्ट नही है बस सूनाप न है बन कर नन्ही सी बच्ची फिर, छिप जाऊं तुम्हारी गोदी मे दुनिया कितनी सुंदर होती, जो बस रह जाती तुम्हारी बेटी मैं यू ही सोचा और आई लम्हे भर को हँस