Posts

Showing posts from May, 2023

वट सावित्री

  वट सावित्री वैसे तो सावित्री और सत्यवान की कहानी सबको पता ही है , लेकिन किरण सोच रही थी की आजकल जब प्राण की रक्षा के लिए डॉक्टर हॉस्पिटल और साइंस है , क्यों करती है औरतें एक पेड़ के नीचे प्रार्थना.  ऊपर से अमेरिका में तो इतनी गर्मी भी नहीं पड़ती इन दिनों में, की पति को पंखा झूला के कुछ ठंढक देना कोई काम की चीज़ हो.  और उपवास में सज धज कर दस और औरतों के साथ , क्यों?  मेमोरी के पन्ने पलटे तो देखा, भी  मैं उनमे से एक थी तो जवाब तो उसके  पास भी होना चाहिए, तो उनमे से कुछ ऐसे कह डाले किरण ने  १. मैंने अपनी माँ को देखा था, तो बस उन संस्कारो को जीवित रखना था. आखिर एक दिन हम औरते अपनी माँ जैसी ही तो बन जाती है? नहीं?  २. हम औरते प्यार तो बहुत करती है लेकिन जब शब्दों की बात हो , कंजूसी कर जाती है. ऐसे में वटसावित्री और करवा चौथ जैसे मौके बहाने बन जाते है. एक दिन , सारा दिन मैं सिर्फ तुम्हारे लम्बी उम्र और स्वस्थ्य की कामना करुँगी, समय निकाल कर सवारूंगी श्रृंगार करुँगी , की तुम्हारी आँखों में वो प्रेम और कौतुहल देखूं जो शादी के मंडप पर देखा था।  ३. और ऐसे में मैं मेरी उन सखी सहेलियों को अपने संग

प्रेम है

  कभी रूह से और कभी देह से तुम  बुला लेना और बता देना की प्रेम है  कभी रूठकर और कभी बहल कर  सता लेना और हंसा देना की प्रेम है  कभी पास रहकर कभी दूर जा कर  दिखा देना और देख लेना  की प्रेम है  हूँ जिन्दा की मुर्दा कौन कहे देखकर  बस जान लेना की सांस है तो प्रेम है