Posts

Showing posts from July, 2012

मैंने अपना घर बना लिया

मैंने अपना घर बना लिया सपनो से सच को सजा लिया अंधियारे मन के कोनो में दीप उम्मीदों का जला लिया मैंने अपना घर बना लिया कडवाहट को पीस पीस कर बना ली मैंने धैर्य औषधि शीतलता मुस्कान प्रेम को खुद पर गहनों सा सजा लिया मैंने अपना घर बना लिया दी उतार गठरी अतीत की बाँधी डोरी मैंने प्रीत की मन के बोल, खुद की आवाज से मन वीणा ने सुर जगा लिया मैंने अपना घर बना लिया खोल के सब खिड़की दरवाजे बंद आंखे और हवा के झोके कर सच का सामना,भूल के धोखे स्वयं को सयंम से मना लिया मैंने अपना घर बना लिया रंग रंग जीवन, रंग रंग पन्ने ठान ली जो अब, न कुछ बेरंगे पंख फडकते हैं उड़ान को तितली सा मन, फिर कहाँ गया? मैंने अपना घर बना लिया