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Showing posts from December, 2020
 "जाने अनजाने, चाहे अनचाहे  जीवन में ऐसे मोड़ आ ही जाते है जहाँ पे आपको एक रास्ता चुन ही लेना पड़ता है. हम तो कई बार चाहते है की बस उसी मोड़ पर जिंदगी खत्म हो जाए, हमें चुनना न पड़े कुछ भी लेकिन ये हमारे बस में नहीं होता। जिंदगी और राह हमें चुनती है , हम नहीं चुनते उनको. हम बस इतना चुन सकते है की हम उस राह पर कैसे चल रहे है. छलांगे लगाते , हँसते खिलखिलाते या कदमो को घसीटते , बोझ ढोते , कराहते ? कराहना मेरी फितरत में नहीं, दर्द कितना भी गहरा क्यों न हो. दर्द को नासूर न बनाकर उसे जीवन का एक तोहफा समझ अपनाकर आगे बढ़ जाना ही जानती हूँ मैं. " मीरा कहे जा रही है लेकिन कोई सुन नहीं रहा. सब उठकर जा चुके हैं खाने के टेबल के पास, शायद उसकी  बाते थी ही ऐसी. वाइन का आधा गिलास हाथ में है , नज़रे उमस भरी शाम में ढलते सूरज पर. सोचने वाली बात है न की सूरज डूब भी रहा होता है तो इतनी लालिमा भर देता है आसमान के आँचल में. फिर क्यों नहीं भरता मेरे इस मन का खालीपन?  खैर. अब पार्टी के माहौल में मैं भी ऐसी बकवास ले बैठूंगी तो कौन सी अक्लमंदी वाली बात है भला. मिसेस सिंह की पन्द्रवीं सालगिरह है आज. इतना इंत
 Sisterhood Sisterhood Is knowing pain, when other sister hurts Sisterhood Is facing together, when the clouds burst Sisterhood Is holding hands, no matter for how long  Sisterhood Is singing aloud, no matter what's the song Sisterhood Is being proud, just because she is mine  Sisterhood Is regardless of sun, endlessly shine  Sisterhood Is cry together, and laugh through tears Sisterhood Is letting go, whatever are those fears  Sisterhood Is being brave, just because there isn't a choice Sisterhood Is speaking out, because you are her voice  Sisterhood Is offering open arms, always there to hug  Sisterhood Is finding love, no matter how deep you dug  Sisterhood Is love and know, know and love for sure  Sisterhood Is deep down, feelings that are purest pure Sisterhood Is Who I am, who you are to me  Sisterhood Is everything, as far as I can see
 कहो तो ?  मुझे क्या मिला  बदनामियाँ  लाचारियाँ  रुस्वाइयाँ  और  तन्हाईयाँ  इतना सब तो है  सच  अब हमें आप जैसे दोस्तों का क्या तलब ?

कोई है?

 कोई है?  झुण्ड में बैठी थी मैं  जब तक खिलखिला रही थी  दिल ही दिल में  लेकिन, कबसे तिलमिला रही थी  तड़प रही थी  कोई मेरा सच तो पढ़ ले  उम्मीद एक थी की  वो मुझे अपनों में गढ़ ले  मेरी कलम कहती है  पढ़ने वाला कोई है ? मेरी नजर कहती है  सुनने वाला कोई है? कोई है?