Badal - The CLouds

बरसा फिर बादल ज़ोरो से
और बहा ले गया वो सब कुछ
जिसको कहने को कब से था मन मेरा बेहाल
कहने को थी बेचैन मेरी ज़ुबान
वो दास्तान - था मन पर मेरे बोझ
अच्छा हुआ
अब छूटी ये जान
वरना किसको किसको समझते फिरते
की क्या है ये
जिसको द्धोते चलते फिरते थे हम
अपने साथ साथ
लटकाए चेहरा
बचते बचाते -छुपते छिपाते
आज आख़िर बह गया सब इस बरसात मे
अब कुछ नही कहने को
सुनने को
ऐसा नही की हमको कोई ग़म नही
उसकी भी अब आदत सी हो चली थी
पर जाने दो
हम जी लेंगे
बह जाने दो उसको
जिसको हमने टाँग रखा था अपने साथ
आज़ाद किया जाओ
तुम भी..बहो अपने जीवन की धार मे
बरसे बदल आज..और बिजली सी भी गिरी

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