डर

डर
के पैरो के नीचे से खिसक जाएगी ज़मीन
हर पल ये डर के फटने वाला है आसमान
टूटने वाला है वो पहाड़ जिसपे अबतक टिकाए थे सर
हर पल ये डर
की होने वाला है सामना
एक नये हालात से
जिसके लिए - नही है पूरी तैयारी
चुप्पी - ख़ामोशी
आने वाले तूफ़ान की आहट
शांती - तूफ़ान से पहले की शांती
धड़कता मेरा दिल
सुनती इसकी आवाज़ सिर्फ़ मैं
करती इंतज़ार
सच होने का उस डर के
जो अभी आया नही
प्रार्थना हर पल..करता मेरा मान
ख़ामोश चुपचाप
की टाल जाए वो बाधाएं
पर यह डर
उस सच से कही ज़्यादा दरावाना
ये डर
कैसे करूँ मैं सामना
हालात से शायद निबट भी लूँ
लेकिन इस डर का क्या करूँ?
रुकी हुई साँसे
थमा हुआ पल पर बढ़ता पल-पल
काले साये सा मेरे सामने
मेरा डर

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