लम्हे गुजरते लम्हे

लम्हे गुजरते लम्हे
देखकर तुम्हारी राह
केहने को तो
"एक ज़रा हाथ बढ़ा ले तो पकड़ ले दामन
उनके सीने मे समा जाए हमारी धड़कन"
लेकिन
शादियो का ये फ़ासला.
दूरी कौन सो?
अभी तो हम मिले हैं तो कर ली कितनी बाते
इधर की उधर की
पूछे मैने - पूछे तुमने
कैसे हो - क्या करते हो.
कितनी बाते
सतही बाते - सबकी सब.
ना केह सके..दिल की वो बाते
जो कहनी थी बस तुमसे.
आज कहेंगे - कल कहेंगे
कौन सा समय भागा जा रहा है
लेकिन ये तो बहगा जा रहा है
बिना किसी आहट के.
ना वक़्त करे बरवाद और हम
आजज करे दिल की बाते फिर से खुल के.
इससे पहले की.
वैसा भी आ जाए पल .
जब ना सुन पाए हम अपने ही दिल की बाते.
ये लम्हा और वो लम्हा
हर एक लम्हा
जी ले जी भर के
आज तुम्हारे दिल से सुन ले अपने दिल की बाते.
चलो जिये ये लम्हा...
देखे तुमको हम अपने आईने सा
तुम्मे पाए ख़ुद की तस्वीर - और निहारे तुमको अब जी भर के
ना बीत जाए ये पल-आने वाला कोई भी पल.
बनाए नयी यादे.
हर लम्हो मे
आख़िर और क्या है अपनी ज़िंदगी
लम्हो की माला.
एक लम्हे से जुड़ा दूसरा लम्हा.
और इनके साथ बदलते रंग हमारी ज़िंदगी
आओ करे सफ़र.
लम्हो का लम्हे से.

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

वट सावित्री

प्रेम है