हादसे भी होंगे

उनसे मिलके दिल के हालात कुछ ऐसे थे
दिन के उजालो मे भी ख़ावाबो मे हम खड़े थे
वो सामने जो आए धड़कन फिर रुक गयी थी
सोचा नही था ऐसा अब भी हो सकता है
लगता था हमको हमने जीत ली है दुनिया
ये दिल क्या अपना अब भी - उनके इशारो पे नाचता है?
कब का ये दिल हमारा भूल भी चुका था
ऐसे कही मचलना , यू ज़ोर से धड़कना
अच्छा हुआ जो मिल गये तुम
इसने सीखा फिर बेहेकना
लेकिन क्या बताए-ख्वबो से वो पल थे
आँखो ही आँखो मे करनी थी सारी बाते
फिर तुम भी चल दिए थे
और हम भी चल पड़े थे
राहो पे अपनी अपनी - थी इंतेज़ार करती
बेड़िया पाओ की
इन आसूओ पे लेकिन ना ज़ोर था किसी का
ये आँखे इतनी बरसी , बीन बादलो के भी
एक पल को दर लगा था कही डूब ही ना जाए
और डूब भी जो जाते तो भी शुक्रा ही होता
तुम थाम लेते आके - फिर से हमारा दामन.
लेकिन नही हुआ कुछ और कुछ भी कही ना बदला
वो रात बस ख्वबो-ख़यालो मे ही गुज़री
ह र लम्हा हमारी आँखो के सामने से गुज़रा
केह ना सके जो बाते , क र ना सके जो बाते
हर वाक़या याद आया-सबने हमे सताया
नींद भी ना आई ना चैन हमको आया
2 रात ऐसे गुज़री और जागे इक सुबह ज ब
हमने कसम ये खाई - तुमको भुलाएँगे हम
कितनी बार जाना हमे ये कसमे खाई है
आज दिल फिर से - एक आस मे बैठा है
कब तुम हमे मीलोगे और हादसे भी होंगे

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

वट सावित्री

प्रेम है