यही पर कही.

आज का दिन है और वो भी एक दिन था
जब तुम मिले थे हमसे कही
यही कही.
वक़्त का तो एहसास नही लेकिन ऐसा लगता है अरसा सा बीता है
तब मे और अब मे
अनजान सी हू मैने आज उस - ख़ुद से
जो तुमसे मिली थी
यही पर कही.
था तो वो भी मेरी ही ज़िंदगी का एक लम्हा
इसी ज़िंदगी का-बस एक ही तो है
इसमे कैसे मैं भूल सकती हून.
उस एक एहसास को - जिसमे जिया था सदियो को मैने
एक ही पल मे,मिलकर तुमसे
यही पर कही.
खोया खोया सा सबकिछ.
भूली बिसरी सी यादे.
बाते हमारी - मेरी तुम्हारी
ठेहेर सा लम्हा - लेकिन कही है
फ़ांस सी दिल मे और आस सी मन मे
आख़िर छोटी सी है ये हमारी कहानी
मेरी तुम्हारी एक ही ज़िंदगी
तो फिर मिलूंगी कभी एक दिन जब
ग़लती से मैं जा उगी राहो पे उल्टे पाव
और फिर मिलेंगे उसी ताज़गी से
यही पर कही.
ब द ल ते हैं मौसम
तो हम भी बदले लेकिन यकी है की आएँगे वापस
हमारी बहारे
यही पर कही

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