A Trip - Somewhere

कही घूमने चलते हैं
कही घूमने जाना है
दूर सही वो जगह कोई
हो देर सही जाने मे भी

बहुत सी रोशनी सूरज की
हो कल-कल सी आवाज़े भी
टेढ़ी मेधी राहो से जो
सीधी मन पे छा जाए वो
एक जादू हो , बेकाबू हो
अपना मन भी , सबका मन भी

जब आए रात और चाँद खिले
झींगुर के शोरो मे , बात चले
एक आग जलाकार इस दिल मे
तारो के नीचे बात चले
एक रात ढले एक रात चले
फिर तुम भी चलो और हम भी चले
एक राह पुरानी , नयी नयी
हैर बात तुम्हारी , नयी नयी

ढूँढे कोई ऐसी जगह कही
जहाँ तुम भी रहो और हम भी रहे
एक रात रहे और बात रहे

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

प्रेम - तलाश ख़त्म

वट सावित्री