सुनी सुनी सी

सारी बाते कही कही सी
सारी बाते सुनी सुनी सी
बाते नयी पुरानी लेकिन
शरांश वही , जाना पहचाना
हर एक राह चली हुई सी
ना कोई ह ल च ल
ना कोई उत्सुकता , अब आगे जाने की
बतो ही बतो मे जाती सी राते
रुकी रुकी सी
था मी - था मी सी
साँसे करती इंतेज़ार
कुछ ना होने कॅ-अब और कही कुछ ना होने का
नींद भी नही
खवाब भी नही
ये खामोशी
सुनी सुनी सी..........

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