तसल्ली से इक दिन

तसल्ली से इक दिन बताना है तुमको
मेरे प्यार का जो भी मतलब निकाला
आगरे तुमने सोचा की
जा उंगी कहाँ मैं
जुड़ा तुमसे होकर - छोड़कर आसरा तेरा
कभी तुमने शायद ये भी सोचा होगा
अगर हम जो मिलते यू ही कही पर
क्या आलम होता
कहते हो तुम की ऐसा नही सोचता मैं
मगर मुझको हर पल यही लगता है
अगर ये ना होता
फिर क्या होता-हुआ होता कुछ भी
मगर ये ना होता
बुरा या भला
नही मुझको अंदाज़ा
क्यूकी मैं ने हमेशा राह आसा चुनी है
गिला कुछ नही मुझको मेरी किस्मत से
शिकायत भी नही
बस तुम्हे पूछना था
अगर तुम बताते तो देखती मैं
कैसे अलग है
ख़याल मेरे तुम्हारे
कहा थी वो मुश्किल
सुलझती मेरी उलझन
क्यू रुक जाती है शारी बाते वही आके
कभी तसल्ली से इसीलिए - तुमसे पूछना है
मगर तुम नही हो
पूछती रहती हू खुद से
ना कोई जवाब है ना कोई सवाल है
बस मैं ही मैं हूँ.
मेरी ही बाते - वो भी खुदी से
कभी एक दिन जब मैं तुमसे मिलूंगी
तभी देख लेंगे.

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