प्रेम के बादल


peacock
Originally uploaded by prabhaJha

बावारे मन की बावरी बाते
बूंदभरे बादल देखे मुस्काते
मुझको इन राहो मे आते जाते
जाने कबसे ये अंजाने
मुझको भीगा ने को है तरसते
मैने भी धमकाया है डरते डरते
ओढ़े हुए हैं ह म समय के चादर
देखते है कैसे तुमसे हैं रिस ते
हंसा लगाकर ठहाके वो बादल
बोला हमे नही पहेचना पागल?
कैसा समय और कैसे चादर
हम तो हैं मनमौजी फिरते हैं उड़ते
जाते हैं चाहे हो कैसे भी रास्ते
बचना है हमसे, बच ना सकोगे
च्छा ये हैं तुमपे, प्रेम के बादल


आज आख़िर मुझे हिन्दी लिखने के लिए ये औजार मिल ही गया. सचमुच यहाँ से हिन्दी लिखना बहुत आसान है और मेरे ब्लॉग पढ़ने वालो को कुछ नया मिलेगा.
शुक्रिया !
लेकिन मुझे अभी अभी ये एहसास भी हुआ की ये करना कितना मुश्किल हो सकता है, हालाँकि हिन्दी मेरी मातृभाषा है और मैं इसका इस्तेमाल भी रोज़मर्रा करती हू , मेरा दिमाग़ आजकल ब्लॉग लिखने वक़्त सिर्फ इंग्लीश मे ही सोचने लगा है. ये स्विच करने मे मुझे थोड़ी मेहनत और उससे थोड़ा कम समय देना होगा.

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