कहाँ से आए बदरा
Singing in the rain
Originally uploaded by neloqua
कहाँ से आख़िर आए हैं
ये घूंघरले काले बादल
परसो से नभ पे छाए है
ये मतवारे पागल बादल
कभी घूमड़ घूमड़
कभी छलक छलक
ये गिरते हैं और गिराते हैं
पानी की ठंढी बूँदो से
ये भीगे हैं , भिगाते हैं
मिट्टी पे जब ये गिरते हैं
खुश्बू सौंधी दे जाते हैं
छान से तपती सी धरती को
मिलो ठंढक पहुँचते हैं
तालो मे झीलो मे या गडढो मे
बनते हैं पानी के घेरे
मेरे मन पे भी बरसो आज
हो शीतल पावक सारे
आजकल बारीशो का मौसम है यहाँ. ये जो शनिवार से शुरू हुई है शायद रविवार तक यू ही चलेगी.
वैसे तो मुझे बारिश अच्छी ही लगती है. कल मैं कार की खिड़की खुली रख भूल गयी थी. अचनाक मेरा ध्यान गया की बारिश बहुत तेज़ हो रही है. जब तक मैने जाकर खिड़की को बंद किया, सामने के दोनो सीट पर काफ़ी पानी आ चुका था. इस भाग दौड़ मे मैं भी भीग गयी. लेकिन मुझे उसकी कोई शिकायत नही थी. आख़िर कितनी ही बार मुझे ऐसा मौका मिलता है.
काश की कर और थोड़े दूर होती और दरवाजा खोलने मे थोड़ा ज़्यादा समय लगता.
हिन्दी मेरी भाषा.
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