रूठे रूठे


Upset...!!
Originally uploaded by Kuang Woo (so busy)

रूठे रूठे से हैं मिज़ाज
जो उनके आज
तो कैसे समझाएँगे हम, उनको सारी
मन की बाते, क्या कह पाएँगे ?
कब से बैठे थे टक टॅकी लगा
देखेंगे वो जब हमको आज
पूछेंगे हाल, हम दिल निकाल
रख देंगे कदमो मे उनके
लेकिन किससे अब करनी बाते
वो कहते भी तो नही की
हुआ है क्या, और हमने किया है क्या
किस बात की ये अनबन और
क्यू हैं ठनी ये जंग
क्यू मन मे मेरे और उनके भी
है ये दीवार किसने खीची हैं ये लकीर
कब तक हंस हंस कर और फुसला कर
पूछूंगी मैं बात और कितनी
जिद्दी हो तुम तो हम भी है
जाओ तुम, हम अपनी राह
एक बार अभी, वो रोकेंगे
इतराते हैं ये सोच सोच
कैसे हैं वो जो बैठे है
गुम सूम से खोए खोए से
जो कह दोगे तो जानेंगे
यू धोखे मे रखकर क्या होगा
मेरा पागलपन या इश्क कहो
कभी तो सपना पूरा होगा

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