पहचान मेरी क्या?
Woman in the mirror
Originally uploaded by poisonapple2005
पहचान मेरी क्या?
आईने मे उभरता एक चेहेरा
कुछ जाना पहचाना सा
है कौन? किसे पता
परछाई जैसे मेरी, है वही आकार
जैसे एक छलावा, ये मैं तो नही
कोशिशे मेरी सारी बेकार
पहचानने की खुद को
बंद आँखो से मैं देखती हूँ स्वयं को कुछ और
कठोर सच और परिस्थिति, दिखाती है कुछ और
उलझी उलझन, मेरे मन की है अनबन
किस चहेरे को अपना समझू
और किसे छोड़ू मंझधार
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