गए होंगे मथुरा नगरपति गोकुल, किसी अंधियारी रात में
सुनसान तट पर, खोजने किसी को
किसने देखा और किसने जाना
सबने सुने हैं राधा के प्रेम के किस्से
पन्ने रंगे हैं , बनी अनगिनत तस्वीरे
हुयी रासलीला, और नटखट प्रसंगे
मगर बड़े इत्मिनान से, देकर दुहाई कर्मो की
ताज पहन सर पर, छोड़ बंसरी व्रिज की
चले गए थे तुम, मुड़कर देखा जो होगा
किसने देखा और किसने जाना
राधा बिचारी रही वही पर वही की
बैठी भी डोली वो थी किसी और की
राह हर पल तुम्हारी देखी तो होगी
वचन भी लिया होगा, किसी भी मोड़ पर
हाथ जो तुमने थामा, चल दूंगी सब छोड़ कर
इन छोटी सी बातो में रखा ही क्या था
तुम्हे थो बनानी थी महाभारत
द्वारका तुम्हारी और रुक्मिणी तुम्हारी
जब सब थे प्रभो, तुम्हारी इच्छा से
क्या नहीं होती तुम्हारी कहानी बिना उसके विरह के
हाँ, प्रेम कहते हो की तुम्हे भी था
किसने देखा और किसने जाना
सुनसान तट पर, खोजने किसी को
किसने देखा और किसने जाना
सबने सुने हैं राधा के प्रेम के किस्से
पन्ने रंगे हैं , बनी अनगिनत तस्वीरे
हुयी रासलीला, और नटखट प्रसंगे
मगर बड़े इत्मिनान से, देकर दुहाई कर्मो की
ताज पहन सर पर, छोड़ बंसरी व्रिज की
चले गए थे तुम, मुड़कर देखा जो होगा
किसने देखा और किसने जाना
राधा बिचारी रही वही पर वही की
बैठी भी डोली वो थी किसी और की
राह हर पल तुम्हारी देखी तो होगी
वचन भी लिया होगा, किसी भी मोड़ पर
हाथ जो तुमने थामा, चल दूंगी सब छोड़ कर
इन छोटी सी बातो में रखा ही क्या था
तुम्हे थो बनानी थी महाभारत
द्वारका तुम्हारी और रुक्मिणी तुम्हारी
जब सब थे प्रभो, तुम्हारी इच्छा से
क्या नहीं होती तुम्हारी कहानी बिना उसके विरह के
हाँ, प्रेम कहते हो की तुम्हे भी था
किसने देखा और किसने जाना
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