कमल

मन हो कमल के पत्ते सा
ढलक जाए छूकर बस
हर एक भावना
अच्छी या बुरी
कोई भी कैसी भी
और रह जाए मन
जस का तस
न हो तर ये मेरा मन
और डूबा ले जाए भावनाए
इन्हें गहरे और गहरे
जहाँ डूब जाये साथ कमल भी

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