बसंत
होली आयी ले उपहार बसंत का
प्रेम भाव और साथ संग का
उस बसंत से इस बसंत तक
मिला सौगात अनूठे अनुभवों का
इसी बात पर आज यहाँ पर
चलो उडाओ रंग गुलाल
पीछे छोड़कर कडवी खट्टी
मिले भुलाकर मन के मलाल
मेरा पागल मन, कब सुनता है
की किस दिन और किस ऋतू में होली है
बंधुजनो के मुस्कान में
अपनी तो बस रोज़ ही होली है
प्रेम भाव और साथ संग का
उस बसंत से इस बसंत तक
मिला सौगात अनूठे अनुभवों का
इसी बात पर आज यहाँ पर
चलो उडाओ रंग गुलाल
पीछे छोड़कर कडवी खट्टी
मिले भुलाकर मन के मलाल
मेरा पागल मन, कब सुनता है
की किस दिन और किस ऋतू में होली है
बंधुजनो के मुस्कान में
अपनी तो बस रोज़ ही होली है
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