तेरी-मेरी होली

आनंदित मन , पुलकित शरीर
रंगों का दिन, हुआ मन अधीर
आये करीब होली की बेला
नाचे मन मयूर मेरा अलबेला
होंगे अनुष्ठान और क्या व्यंजन
उत्सव ही उत्सव , न कोई बंधन
किया साल भर जो इंतज़ार
आया बसंत फिर कर श्रृंगार
उमड़ा ह्रदय में जो है दुलार
रंग देंगे मिल के हम ये संसार
क्या नीली और क्या पिली
ये है तेरी-मेरी होली

Comments

dollyjha said…
Holi has done something to you beautiful.

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