मुस्कान

ले आऊँ खरीद झूठी मुस्कान
जो तुम्हे पता हो कोई दुकान
कुछ छिपे नहीं तुमसे हालत
फिर भी कहते हो हसने की बात
जब घाव मेरे बन गए मजाक
समझाउंगी मैं अब क्या ख़ाक ?
क्रेडिट कार्ड से, एक पैक स्माइल
ऑनलाइन अब आर्डर करनी होगी
जो पता दिया था उलझनों को
वही इसकी भी डेलिवेरी होगी

Comments

AMIT KUMAR said…
vey nice poem prabha............

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