कमल ह्रदय का

महकते कमल सा
खुला अधखुला सा
बहकता हवा संग
पानीयो पे डोलता सा
डूबता सूरज संग
करती बंद पंखुड़िया
फिर उनींदी सी खुलती
वो भोर की किरण से
लहरों पे भागती-झूमती
कभी कोम्हल सी, धूप में
ये कमल ह्रदय का
मेरा तुम्हारा

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