कुछ खुबसूरत सा, सूरज की पहली किरण में
चमकता ओस की बूंद सा, धुला धुला सा
पहली बरसात में, कोमल कोपल सा
कांपता हर झोके से, नाजुक पंखुड़ी सा
मासूम इठलाता , करता अनगिनत अदाए
कितनी कहानियां, किस किस को सुनाये
बदलते मौसम की ये सर्द हवाए
डरती हूँ कहीं न मेरा ये फूल मुरझाये

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