कोई आता है और कोई हो जाता है दूर
पागल ये मन, अपनी आदत से मजबूर
होकर के भी पास, किसी से अनजाना
न होकर भी हो एहसास ऐसा है अपना
हाथो की रेखाओ में, बुना है तेरा नाम कही
मैं ही बस पढ़ सकी हूँ,
मुट्ठी में बंद खुशिया, खोलू तो जाएगी बिखर
डर से, इनको बांधे रखती हूँ
दुखता सा है,कही खिचे मन को जो इक डोर
बिखरे बिखरे सपने, बस सन्नाटो का शोर
झूठी झूठी सब बाते, सब कुछ बस एक छलावा
सच एक तुम हो , और प्यार मेरा
सारी दुनिया झूठी , सारे रिश्ते ढोंग-दिखावा

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