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Showing posts from November, 2011
शायद अभी अभी खयालो में आकर गए हो तुम की खुशबु बिखरी है, मेरे चारो ओर बंद कर लूं जो पलके तो देख भी लू शायद टटोल कर भी देखा की शायद उंगलियों को महसूस होगी , जो हो तुम यही कही खोली मैंने आंखे, कह-कहो में सबके कहा भी किसी ने "क्या अंधे हो गए हो"? उठाकर सर को, बड़े ही अभिमान से चल दी मैं और कहा भी,उन सबसे पलट कर तुम्हे क्या पता? प्यार अँधा होता है...
पैरो के निशान कुछ इस तरह दिल पे हमारे, लिखे हैं तुम्हारे की पढने जो बैठे ,तो पढ़ तो लेंगे है इतना भाषा का हमको तो ज्ञान लेकिन गणित में पिछड़े हुए है ये टुकड़े दिल के कैसे गिनेगे उम्र हमारी गुजर ही जाएगी इसीलिए करके उनको अनदेखा बस निशान तुम्हारे उम्र भर पढेंगे