शायद अभी अभी खयालो में आकर गए हो तुम की खुशबु बिखरी है, मेरे चारो ओर बंद कर लूं जो पलके तो देख भी लू शायद टटोल कर भी देखा की शायद उंगलियों को महसूस होगी , जो हो तुम यही कही खोली मैंने आंखे, कह-कहो में सबके कहा भी किसी ने "क्या अंधे हो गए हो"? उठाकर सर को, बड़े ही अभिमान से चल दी मैं और कहा भी,उन सबसे पलट कर तुम्हे क्या पता? प्यार अँधा होता है...
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