मुस्कुराहटें
मुस्कुराहटें जो बिखरी
तो बस , बिखरी सो बिखरी
असली या नकली, फैली तो फैली
चेहरे पे मेरे, हो या तुम्हारे
जो छायी, मिटाई इसने उदासी
समेटो समेटो ये मायूसी के डेरे
यहाँ पर नहीं डालो कहीं और फेरे
अब नहीं तेरी न मेरी चलेगी
यहाँ पे अब बस मुस्कराहट बटेगी
तो बस , बिखरी सो बिखरी
असली या नकली, फैली तो फैली
चेहरे पे मेरे, हो या तुम्हारे
जो छायी, मिटाई इसने उदासी
समेटो समेटो ये मायूसी के डेरे
यहाँ पर नहीं डालो कहीं और फेरे
अब नहीं तेरी न मेरी चलेगी
यहाँ पे अब बस मुस्कराहट बटेगी
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