झूठी मुठी तू बतिया बनावे
मेरा होके तुम मुझे ही फ़साये
पागल दीवाना, कहू क्या कुछ तुझे मैं
लेकिन आखिर में तू, मुझे ही रुलाये
जाने लेता है बदले तू किस जनम के
हुआ जो तू उसका, मेरे सीने में रह के
भोली भाली मैं, तू भी निकला सीधा साधा
उस जादूगर ने , न जाने क्या मंतर डाला
फसे मोह में हम और वो न जाने कहा है
मानव जीवन की, यही तो विडम्बना है
मेरा होके तुम मुझे ही फ़साये
पागल दीवाना, कहू क्या कुछ तुझे मैं
लेकिन आखिर में तू, मुझे ही रुलाये
जाने लेता है बदले तू किस जनम के
हुआ जो तू उसका, मेरे सीने में रह के
भोली भाली मैं, तू भी निकला सीधा साधा
उस जादूगर ने , न जाने क्या मंतर डाला
फसे मोह में हम और वो न जाने कहा है
मानव जीवन की, यही तो विडम्बना है
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