नहीं नहीं अरे भई, ये कोई बड़ी बात नहीं
इतनी सी बात पे, बढाओ कोई बात नहीं
ऐसा तो अक्सर ही होता रहेता है
सदियों से, हर घर में होता आया है
छोड़ो भी जाने दो, न बहाओ टेसुए
तुम भी बस, जब देखो "शुरू" हो गए

ठीक बिलकुल ठीक, लो पोंछ लिए मैंने आंसू
पत्ते तुम बाटोगे या मैं बाटूँ?
खेल ही है, और क्या इससे ज्यादा कुछ नहीं
पारी शुरू नयी, एक के ख़तम होते ही
धोखे पहेलि पारी अब बात करो तो गलती है
लेकिन फिर तुम चाल चलोगे, उसकी भी गारंटी है

अब लो , बात बनाने में, तुमसे आगे कोई नहीं
खेलो हंसो एन्जॉय करो, इसमें तो पाबन्दी नहीं?
मज़ा किरकिरा हर बात क्यों जाने का देती हो
कहाँ कहाँ की बातो की तुम गठरी बांधे फिरती हो

क्या करू मैं अभी-अभी तो आस्मां से गिरी नहीं
जो मैं कहने वाली थी, वो बात ख़तम भी हुयी नहीं
बात सही ,इन खेलो से मुझको कोई द्वेष नहीं है यारी है
लेकिन बंधू ये याद रहे , बस यही आखिरी पारी है

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