होली नहीं मनाई जबसे धुलने वाले रंगों से
सात समन्दर दूर हुए, घर से साथी-संगो से
झूठ ये होगा अगर कहेंगे, जीवन में कुछ कमी नहीं
जब भी ऐसे दिन आये हैं, आँखों में एक नमी नहीं
लेकिन सच तो ये भी है की, सबने अपनाया है
रिश्ते नए ,नयी दोस्ती , नया परिवार बनाया है
होली तो ऐसा उत्सव है, जो ये याद दिलाता है
रंग दिलो पर प्रेम-भाव का, धुलने से कब धुलता है?

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