सिरहाने रखकर तेरी याद, हर रात
हम सोये हैं
दुहराते मन में ख्याल, हर एक पुरानी बात

भीगे तकियों पे, बदलते करवट
उनीदी रात, हमने काटी है
चुभते सपनो के साथ, अनगिनत बार


ढकते काजल से, जागी आँखों के दाग
हर सुबह, आइने के पास
झूठी मुस्कान, बस एक उम्मीद और इंतज़ार


झूठी ही सही, फिर भी आखिर है तो ये आस
टटोलते मन को
न जाने किस ख़ुशी की तलाश

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