पहनकर प्यार कलाई में, सजाकर प्यार माथे पर
बदलकर हार गलो के
विदा तुमने किया
बहाकर गंगा आँखों से, रखकर ह्रदय पर हिमालय
मुरझाया सा लेकर कमल-सा मन
विदा तुमने किया
खोलकर मन की सारी गाँठ, मिटाकर भ्रान्ति के एहसास
बांधकर गठारी भर विश्वाश
विदा तुमने किया
पाने को ये सौगात, मिटाने दुनियाभर की थकान
चखने प्रेम के असली स्वाद
मैं वापस आऊंगी
बदलकर हार गलो के
विदा तुमने किया
बहाकर गंगा आँखों से, रखकर ह्रदय पर हिमालय
मुरझाया सा लेकर कमल-सा मन
विदा तुमने किया
खोलकर मन की सारी गाँठ, मिटाकर भ्रान्ति के एहसास
बांधकर गठारी भर विश्वाश
विदा तुमने किया
पाने को ये सौगात, मिटाने दुनियाभर की थकान
चखने प्रेम के असली स्वाद
मैं वापस आऊंगी
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