छोटी सी चींटी
छोटी सी चींटी , छोटी सी चींटी
चढ़ती उतरती और गिरती पड़ती
लेकर उम्मीदे और बोझ दुनिया भर के
की कर लुंगी सबकुछ, जाउंगी पहुँच
मंजिल दूर सही, पर मैं मायुश नहीं
छोटी सी चींटी ,छोटी सी चींटी
उडती गुजर जाती है एक तितली
देखती है निचे, रेंगती सी चींटी
करती है अनदेखा उसकी अनथक कोशिस
पल भर को चींटी भी सोचती है
की काश मैं भी उड़ाती
लेकिन नहीं भूलती वो फिर भी चढ़ते रहेना
न ही छोडती है पीछे , वो बोझ पीठ के
कितने बड़े काम करती है आखिर
कौन कह सकता है भला उससे?
छोटी सी चींटी
छोटी सी चींटी !
चढ़ती उतरती और गिरती पड़ती
लेकर उम्मीदे और बोझ दुनिया भर के
की कर लुंगी सबकुछ, जाउंगी पहुँच
मंजिल दूर सही, पर मैं मायुश नहीं
छोटी सी चींटी ,छोटी सी चींटी
उडती गुजर जाती है एक तितली
देखती है निचे, रेंगती सी चींटी
करती है अनदेखा उसकी अनथक कोशिस
पल भर को चींटी भी सोचती है
की काश मैं भी उड़ाती
लेकिन नहीं भूलती वो फिर भी चढ़ते रहेना
न ही छोडती है पीछे , वो बोझ पीठ के
कितने बड़े काम करती है आखिर
कौन कह सकता है भला उससे?
छोटी सी चींटी
छोटी सी चींटी !
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