मैंने अपना घर बना लिया
मैंने अपना घर बना लिया
सपनो से सच को सजा लिया
अंधियारे मन के कोनो में
दीप उम्मीदों का जला लिया
मैंने अपना घर बना लिया
कडवाहट को पीस पीस कर
बना ली मैंने धैर्य औषधि
शीतलता मुस्कान प्रेम को
खुद पर गहनों सा सजा लिया
मैंने अपना घर बना लिया
दी उतार गठरी अतीत की
बाँधी डोरी मैंने प्रीत की
मन के बोल, खुद की आवाज से
मन वीणा ने सुर जगा लिया
मैंने अपना घर बना लिया
खोल के सब खिड़की दरवाजे
बंद आंखे और हवा के झोके
कर सच का सामना,भूल के धोखे
स्वयं को सयंम से मना लिया
मैंने अपना घर बना लिया
रंग रंग जीवन, रंग रंग पन्ने
ठान ली जो अब, न कुछ बेरंगे
पंख फडकते हैं उड़ान को
तितली सा मन, फिर कहाँ गया?
मैंने अपना घर बना लिया
सपनो से सच को सजा लिया
अंधियारे मन के कोनो में
दीप उम्मीदों का जला लिया
मैंने अपना घर बना लिया
कडवाहट को पीस पीस कर
बना ली मैंने धैर्य औषधि
शीतलता मुस्कान प्रेम को
खुद पर गहनों सा सजा लिया
मैंने अपना घर बना लिया
दी उतार गठरी अतीत की
बाँधी डोरी मैंने प्रीत की
मन के बोल, खुद की आवाज से
मन वीणा ने सुर जगा लिया
मैंने अपना घर बना लिया
खोल के सब खिड़की दरवाजे
बंद आंखे और हवा के झोके
कर सच का सामना,भूल के धोखे
स्वयं को सयंम से मना लिया
मैंने अपना घर बना लिया
रंग रंग जीवन, रंग रंग पन्ने
ठान ली जो अब, न कुछ बेरंगे
पंख फडकते हैं उड़ान को
तितली सा मन, फिर कहाँ गया?
मैंने अपना घर बना लिया
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