जो कुछ भी हूँ, तेरी वजह से हूँ

वजूद मेरा और मैं क्या, तेरी परछाई भर हूँ
खुद की बोली में, अंदाज में और हर एक एहसास में
पाया है तुमको मैंने, अपनी रग रग और सांस में
बहती हो तुम नसों में , तुम ही कहती हो ध्वनी बनकर
आहट में तुम चलती हो, तुम ही हो निरंतर
किन शब्दों में दूं उपमा, किस बात से करू तुलना
परमपिता से तुम बढ़कर , सर्वस्व तुम्ही से
मेरी माँ

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