आरजू
यु ही हर रोज़ , महसूस करते हैं तुमको
नाहक हर रिश्तो में ढूंढते हैं तुमको
सिमटे सिमटे दायरे और बे इन्तहां चाहते
आरजू पा ली जो तेरी, ख्वाबो में भी कहाँ राहते
नाहक हर रिश्तो में ढूंढते हैं तुमको
सिमटे सिमटे दायरे और बे इन्तहां चाहते
आरजू पा ली जो तेरी, ख्वाबो में भी कहाँ राहते
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