पिया जो आये मेरे देश, हाथ की लकीरे भी मेहँदी से रचने लगी
पलके नाचे , यु थिरके, करे खेल कैसे कैसे, ख्वाब अनदेखे, बुनने लगी
होश तन का न मन का,न फ़िक्र जहाँ की - मन हुआ है यु पागल
हर खिड़की को खोले, है तैयार बैठा - होने को आज तेरी नज़रो से घायल

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