मै क्या कोयी , सडा अन्ग था तेरा
जो यु तुमने , काट फ़ेका मुझे है
न आवाज देते हो, ना गुहार सुनते हो
थक नैन दीपक, अब मेरे बुझे है
जिन्दगि हसती है मुझ्पर, मौत परिहास करती
शर्मिन्दा मै खुदसे, क्यु फ़िर भी तेरी बाट तकती
बाटने मे तुझको , है तकलीफ़ मुझको
तुकडो मे खुद ही जिसका है, बिखरा वजूद
उसी हाथ से तुकडे इस दिल के समेटु
जिनको ख्वहिश कभी थी, तुम करोगे कबूल
जो यु तुमने , काट फ़ेका मुझे है
न आवाज देते हो, ना गुहार सुनते हो
थक नैन दीपक, अब मेरे बुझे है
जिन्दगि हसती है मुझ्पर, मौत परिहास करती
शर्मिन्दा मै खुदसे, क्यु फ़िर भी तेरी बाट तकती
बाटने मे तुझको , है तकलीफ़ मुझको
तुकडो मे खुद ही जिसका है, बिखरा वजूद
उसी हाथ से तुकडे इस दिल के समेटु
जिनको ख्वहिश कभी थी, तुम करोगे कबूल
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