आज वापस करने हो आये हो तो, क्या यु ही ले लुंगी
देखना परखना पड़ेगा, सबकुछ वैसे का वैसे है या नहीं?
दिल दिया था तो साथ में जज़्बात भी तो दिए थे
उनको भी थोड़ी बहुत कीमत है की नहीं?

खरोच इधर उधर के, चलो जाने भी दो
लेकिन मेरे अरमानो , सपनो और उम्मीदों का कुछ तो हिसाब करो
दिए थे मैंने हरे-भरे, मुरझाया सा लौटाते हो?
ले जाओ मुझेको नहीं चाहिए, किसको मुर्ख बनाते हो?

मुंह फेर पटक कर सब मीट्टी में तुम, छुडा चल दिए हो दामन
सारी उम्र कटेगी मेरी, सिचेंगे इनको फिर से नयनो के सावन

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