वो जो आये , बस आये
दामन हवा मे लेहेराते आये
बिखराते आये, खुशबू फ़िजा मे
अनगिनत सपने कुचलते आये

तोडते आये वो कितने दिलो को
आन्सुओ के दरिया पे चलते आये
लहु उन्ग्लियो मे, लगा था किसि का
नज़रे मुझ्पे टिकाये
इठ्लाते शर्माते मुस्कुराते
वो फ़िर भी आये

Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

प्रेम - तलाश ख़त्म

वट सावित्री