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Showing posts from March, 2014
शिकायत है ये उनको, कि हमने गैर बना रखा है पूछते है हम उनसे , जवाब दे जो हो उनको गवारा गैर होके अगर दिल का मेरे, ये हाल बना रखा है खुदा कसम जो अपने होते, ना जाने क्या होता
कदमो कि आहट अब भी आती है कहा से तेरी बात तो तय हुयी थी, रास्तों को बदलने कि खिडकियां मेरे घर कि, बंद है दरवाजे सारे फिर भी क्यू तेरी रोशनी झाकति है रोशंदानो से अरसो से मकड जाल ने, घेर रखा था जिसको लगता है जला जाओगे तुम उसे, अपने नूर से आँखें भिच के बैठे है, ना देखेंगे कभी तुमको पर खुशबुओं से तेरे फिर क्यू, मेहेका मेरा दामन है
आज तो जरुर बात कुछ और है क्यू गूँजता जेहन में खामोशी का शोर है? है इश्क नही ये, दफा लाख कहा दिल को मुआ अब भी नही सुनता, धड़कता तेरी ओर है