जो बस में होता
बनाके तुमको अंगूठी, उंगलियो में पहनती
बंद करती मुठ्ठी में
तन्हाईयो में चूमती
बनाके झुमके तुम्हारे, डालती कानो में
बेवजह सर हिलाकर
गालो को चूमते तुम
सजाके हथेलियों की मेहंदी में
रखती नज़रो के आगे
बसाती सांसो में
वो महक मैं हमेशा
बनाकर चाभी के गुंचे
डाल लेती कमर में
हर चाल हर कदम पे मेरे
संग तुम भी थिरकते
अनगिनत है तरीके संग तुम्हे बाँधने के
फिर क्या दुनिया के रिश्ते
और क्या हाथ की लकीरे
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