कौन हूँ कौन हूँ कौन हूँ मैं आखिर





नाम मेरा कुछ भी किसी ने रख दिया था
चेहरा भी मेरा , अपना कभी भी नहीं था
कहते हैं दिमाग की वायरिंग भी उधार की है
जो भी दीखता है सबको, पहचान तो नहीं है
अब सोचती हूँ लगता है , कौन जानता मुझे है
जब खुद नहीं पता, तो उम्मीद भी किसे है
क्या भावनाए मन की? मेरी अपनी सगी है?
या जो शब्द बोलती हूँ, असल में बस मेरी है?
सब कुछ यहाँ वहां से, छिना है या चुराया
पर दिल ने जो तुम्हारे, बस मुझे अपनाया
वो एक भावना ही है जो, असली है, है बस हमारी
बाकि के सब भुलावे, है या थोपे या बनावटी


Comments

Popular posts from this blog

मर्यादा

वट सावित्री

प्रेम है