आँखों में शरारत है , तैरती सी, वो दीखता है
मगर ये नाव चलती है, जिस पानी पर वो बुँदे देख सके न तुम

कहकहों से गूंजती है महफ़िल मेरे आने से
दिल में जो तन्हाई कलपती है

उसे सुनने वाला, कौन है

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