कहा कहा लिए जाये सपने, कौन जाने
किस गली किस मोड़ से गुजारे ये जाने अनजाने
चेहरे अनगिनत दिखलाये, मिलाये बिछड़े
जहाँ न कोई अब किसी को पहचाने


रखे घावों में मरहम, बनकर सगा कोई हमदम
घुमाए फिराए, ले उंगली पकड़ गिरते ही पलकों के
चले जाये, लिए जाये, डोर खिचे अंजानी
फिर वापस कर जाये हकीकत में जीवन के


सपने सपने एक तू ही मेरे अपने
ले चल आज मुझको , मेरे साजन के घर को
आज वापस न लाना , बस एक बार
हमेशा के लिए, सो लेने दे मुझको

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