शब्द
कितने खूबसूरत होते हैं ये शब्द
और कितने भोले भले से बेचारे
जब चाहे जैसे , इन्हे माला में पिरोलो
बस भाषा ये बोलेंगे बस तुम्हारे
दोष भी सीधा सीधा इन्ही को मिलेगा
अगर नहीं व्यक्त कर पाएंगे ये सही से
भावनाए तुम्हारी चाहे जैसे भी हो
ज्ञान हीन हो भी तो, है कटुता इन्ही से
हैं यही संग मेरे, जबसे मुझे याद है
चले साथ साथ न मेरी राह काटी
थामे मेरे मन की डोरी, बंधी हूँ मैं इनसे
यही मेरे संगी यही जीवन साथी
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