बाती से जलते हो क्यों दिसव राती
मेरे साथी
मेरे साथी
प्रेम की रौशनी से भरते हो मेरा जीवन
डब डब भर दिए क्यों अपने ही नैनो के
छिपाते हो हर सिकन, लौ में लहक लहक
कह जाते हो सब अपनी ऊष्मा में बिन बैनो के
मेरे साथी
मेरे साथी

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