जब शब्दो से तुम मार गिराओ
कौन से दवा घाव भरे फिर
नैनो से जो तुम वाण चलाओ
जब अश्वत्थामा हतो ही कहकर
प्राण ले लिए जाते हैं
ऐसे मे नाहक हथियार ले
क्यू आख़िर हिंसक कहलाओ
बाँध के जब तुम प्रेम पाश मे
घोंट ले सकते हो दम मेरा
फिर तो हत्यारे से अच्छा है
तुम बस सच्चे प्रेमी बन जाओ
अनपढ़ जाहिल और गँवार मैं
पढ़े लिखो की टोली मे
कुछ कहाँ समझती कहाँ जानती
बेवकूफ़ मैं , भोली मैं
मेरे लायक है कोई दुनिया?
जहाँ ना छन छन फ़ैसले हो
ना मिले तमगा, ना दूँ सफाई
बस एक बूँद का सागर हो
खुली आँख से जितना देखा
और जितना भी सीखा है
एक पल मे जो सच लगता है
अगले पल का धोखा है
आज गिरा लेने दो पलके
शायद वो सच दिख जाए
थक चुकी मैं इस यथार्थ से
अपने झूठ मे जाके मिल जाए
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