साधना



खुश्बुओ से
फैलो और महको
की बस करे महसूस
और पाएँ शुकून
बंद करके आँखे
खोल मान के दरवाजे

कुछ ऐसे की लगे अब
हैं लीन
अपने प्रभु की अराधान मे
न शोक ना पश्चाताप
न द्वेष ना हिंशा
एक गहरी अनुभूति बस
ना होकर भी होने की
साधना

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